लोकतन्त्र या भीड़तंत्र
कहते है भीड़ की कोई सकल या जाति धर्म नहीं होता ये बस एक रूढ़िगत और समाज के ठेकेदार लोग होते है जो अपने इंसाफ को कानून से ऊपर समझते है इसीलिए ये किसी की भी जान लेने के लिए उतारु रहते है इनमे पुलिस का खोफ नहीं रहता हाल झारखंड में चार बुजर्गो की हत्या इस लिए कर दी गयी क्युकि भीड़ को शक था वो तंत्र मन्त्र करते है एक राजस्थान की घटना जिमे भीड़ द्वारा युवक को बुरी तरहे से पीटा गया अस्पताल में दम तोड़ दिया उपुक्त मात्र सिमित है असल संख्या इससे ज्यादा हे हर रोज देश के किसी किसी कोने में भीड़ का उग्र रूप देखने को मिलता है साल 2014 में ऐसे 3 मामले आए और उनमें 11 लोग ज़ख्मी हुए. जबकि 2015 में अचानक ये बढ़कर 12 हो गया. इन 12 मामलों में 10 लोगों की पीट-पीट कर मार डाला गया जबकि 48 लोग ज़ख्मी हुए. 2016 में गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्डी की वारदातें दोगुनी हो गई हैं. 24 ऐसे मामलों में 8 लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ीं जबकि 58 लोगों को पीट-पीट कर बदहाल कर दिया गया. 2017 म...