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जलवायु परिवर्तन

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जलवायु परिवर्तन वर्तमान में बहुत सुनाई देता जा रहा है और यह मौसम वैज्ञानिको के लिए चिंता का विषय बना होआ है आये दिन मौसम से सम्बंधित कुछ न कुछ घटनाये घटित होती जा रही है। जलवायु परिवर्तन को समझते है।  जलवायु और मौसम : अक्सर लोग जलवायु और मौसम को एक समझते है लेकिन ये दोनों अलग होते है मौसम रोज सुबह शाम आस पास के वातावरण में होने वाले परिवर्तन को कहते है जबकि जलवायु शब्द किसी स्थान पर पिछले कई वर्षो के अंतराल में हुये मौसम की स्थिति को बताता है इसका पता लगाने के लिए जलवायु वैज्ञानिक 30 वर्षो का समय पर्याप्त मानते है।  जलवयु परिवर्तन :  अध्यन में सामने आया है कि पृथ्वी में गर्मी बढ़ रही है आज विश्व पिछले 2000 वर्षो से ज्यादा गर्म है 20 वी शतब्दी के दौरान वैश्विक तापमान लगभग 0.6 डिग्री C  तक बढ़ा है हर रोज मौसम में परिवर्तन नजर आते है कभी 1 घंटे की बरसात होती तो उसके थोड़ी देर बाद तेज धुप लगती है परन्तु यही घटना  किसी एक स्थान में सालो तक रहती है तो वह  उस स्थान की जलवायु  बन जाती है  जलवायु में परिवर्तन का  उदहारण हिमयुग है...

भारत में सिंधु नदी तंत्र

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भारत में नदी तंत्र के बारे में पहले बात की जा चुकी है इसके नदियों के  तंत्र को एक  एक करके समझेंगे | सिंधु नदी तंत्र मानचित्र पर    1     सिंधु नदी तंत्र :     भारत के उत्तेर -पश्चिम भाग में  सिंधु और उसकी सहयक नदियो का विस्तृत क्षेत्र है अकेले सिंधु हिमालय प्रदेश में 250000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अपवाहित होती है सतलुज ,व्यास ,रावी ,चिनाब ,झेलम जैसी प्रशिद्ध नदियाँ  इसकी सहायक नदियाँ है  इसमें झेलम पीरपंजाल पर्वत से निकलती है बाकि सभी हिमालय पर्वत से निकलती है विभाजन के बाद इस तंत्र का बहुत सा भाग पकिस्तान  में  चला  गया   इस तंत्र की नदिया इस प्रकार है |     पाकिस्तान में सिंधु  सिंधु नदी :    यह तिबब्त में 5 ,180 मीटर की ऊंचाई से मानसरोवर झील के निकट प्रकट होती है अपने पश्चिम ,उतर पश्चिम  दिशा में लगभग ३२० किलोमीटर की दूरी  से बहने  के बाद यहां नदी   4202   मीटर की ऊंचाई  से जम्मू तथा कश...

भारत में नदियों का महत्व

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भारतीय नदिया का सामजिक,सांस्कृतिक ,आर्थिक महत्वा है  सिन्धु तथा गंगा नदियों की घाटियों में ही विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं - सिन्धु घाटी तथा आर्य सभ्यता का आर्विभाव हुआ।    इसलिए भारत में ये पूजनीया मानी जाती है इसी कड़ी में ये भारत में विवधिताओ एक महत्वपूर्ण भूमिका इन  नदियो की भी है जो हर क्षेत्र में अपना एक अलग रूप ,परंपरा ,सभ्यता , पर आधारित होती है भारत में वर्तमान में भी अधिकतर कृषि प्रधान जनसँख्या नदी तटों के किनारे निवास करती है    प्राचीन काल में व्यापारिक एवं यातायात की सुविधा के कारण देश के अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही विकसित हुए थे तथा आज भी देश के लगभग सभी धार्मिक स्थल किसी न किसी नदी से सम्बद्ध है।भारत की नदियों को अलग अलग तंत्रो के रूप में पहचाना जा सकता है        भारत में  नदी तंत्र काफी बड़ा है परन्तु इसमें 4 तंत्रो को मुखिया रूप में बनता जाता है   सिंधु नदी तंत्र  हिमालय नदी तंत्र  ब्रम्पुत्र नदी तंत्र  प्रयद्वीपय नदी तंत्र    भारत में होने वा...

भारत में विविधिता

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भारत विविधिताओं से भरा  देश  है |  29 राज्य  और 7 केंद्रशासित प्रदेशो में बंटे इस देश में  कई  भाषाई ,सांस्कृतिक ,और  भौगोलिक विविधिताये पायी जाती  है  यहाँ हर एक राज्य की अपनी अपनी विवधिताये है  भौगोलिक दृष्टि से भारत   विविधताओं का देश है, फिर भी सांस्कृतिक रूप से एक इकाई के रूप में इसका अस्तित्व प्राचीनकाल से बना हुआ है।   इस विशाल देश में उत्तर का पर्वतीय भू - भाग, जिसकी सीमा पूर्व में ब्रह्मपुत्र  और पश्चिम में सिंधु नदी तंत्र   तक विस्तृत है।           राजनीतिक विविधता ऐतिहासिक अध्ययन से ज्ञात होता है कि मोर्य ,गुप्त  तथा अंग्रेज  के शासनकाल को यदि छोड़ दिया जाए तो भारत कभी संगठित नहीं रहा, बल्कि भारत के विभिन्न भागों पर एक ही समय में कई नरेशों ने शासन किया, उदाहरणार्थ - अगर उत्तर भारत पर हर्षवर्धन  का शासन था, तो उसी समय बंगाल  में पाल वंशीय  शासकों का तथा दक्षिण में चालुक...