भारत में विविधिता
भारत विविधिताओं से भरा देश है | 29 राज्य और 7 केंद्रशासित प्रदेशो में बंटे इस देश में कई भाषाई ,सांस्कृतिक ,और भौगोलिक विविधिताये पायी जाती है यहाँ हर एक राज्य की अपनी अपनी विवधिताये है भौगोलिक दृष्टि से भारत विविधताओं का देश है, फिर भी सांस्कृतिक रूप से एक इकाई के रूप में इसका अस्तित्व प्राचीनकाल से बना हुआ है। इस विशाल देश में उत्तर का पर्वतीय भू - भाग, जिसकी सीमा पूर्व में ब्रह्मपुत्र और पश्चिम में सिंधु नदी तंत्र तक विस्तृत है।
राजनीतिक विविधता
ऐतिहासिक अध्ययन से ज्ञात होता है कि मोर्य ,गुप्त तथा अंग्रेज के शासनकाल को यदि छोड़ दिया जाए तो भारत कभी संगठित नहीं रहा, बल्कि भारत के विभिन्न भागों पर एक ही समय में कई नरेशों ने शासन किया, उदाहरणार्थ - अगर उत्तर भारत पर हर्षवर्धन का शासन था, तो उसी समय बंगाल में पाल वंशीय शासकों का तथा दक्षिण में चालुक्य का शासन था। अत: कहा जा सकता है कि यहाँ राजनीतिक एकता का अभाव रहा है।
भाषा की विविधता
भारत के विभिन्न प्रान्तों में अनेक भाषाएँ अस्तित्व में हैं, जो भिन्न-भिन्न प्रान्तों को परस्पर अलग सा कर देती हैं। साइमन कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार, यहाँ व्यवहार में लाई जाने वाली भाषाओ की संख्या लगभग 222 है। इसके अतिरिक्त भारत के विभिन्न भागों में लगभग 545 भाषाएँ व्यवहार में लाई जाती हैं। इन विभिन्न भाषाओं के कारण भारत में विविधता दर्शित होती है। वर्तमान में भारत के सविधान द्वारा 22 भाषाओं को मान्यता प्रदान की गई है। ये भाषाएँ हैं -हिंदी ,बांगला ,पंजाबी गुजराती ,मराठी ,उड़िया ,उर्दू,सिंधी ,असमिया ,कश्मीरी ,तमिल,तेलगु,कन्नड़ ,मालयम ,कोकणी ,मणिपुरी ,नेपाली,संस्कृत ,डोंगरी,संथाली,बोडो व मैथली कुछ अन्य भाषाओं को भी इस सूची में सम्मिलित करने की माँग की जा रही है।
बोली
10 लाख से कम लोगो दवारा बोली जाने वाली बोली/लोकभाषा कहा जाता है | भारत में हर जगह की अपनी बोली है कुछ इस प्रकार है - हो ,खासी ,खानदेशी मुंडारी ,गारो,अदि प्रमुख है
आर्थिक विविधता
भारत में आर्थिक दृष्टि से भी विविधता व्याप्त है। यहाँ धन का असमान वितरण है। एक तरफ़ ऐसा वर्ग है, जो अथक परिश्रम के पश्चात् दो वक्त की रोटी लायक़ पैसा नहीं कमा पाता है, वहीं दूसरी तरफ़ ऐसा भी वर्ग है, जिसकी आर्थिक स्थिति इतनी सुदृढ़ तथा आय इतनी अधिक है कि इस वर्ग के व्यक्तियों की गणना विश्व के धनाढ्य व्यक्तियों में की जाती है।
भौगोलिक विविधता
भौगोलिक दृष्टि से भारत में विविधता दर्शित होती है। भारत की इस भौगोलिक विविधता के सम्बन्ध में .डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अपने भाषण में स्पष्ट कहा है कि -यदि कोई विदेशी, जिसे भारतीय परिस्थितियों का ज्ञान नहीं है, सारे देश की यात्रा करे तो, वह वहाँ की भिन्नताओं को देखकर यही समझेगा कि, यह एक देश नहीं, बल्कि छोटे-छोटे देशों का समूह है और ये देश एक-दूसरे से अत्यधिक भिन्न है। जितनी अधिक प्राकृतिक भिन्नताएँ यहाँ हैं, उतनी अन्यत्र कहीं पर नहीं हैं। देश के एक छोर पर उसे हिम मंडित हिमालय दिखाई देगा और दक्षिण की ओर बढ़ने पर गंगा, यमुना एवं ब्रह्मपुत्र की घाटियाँ
फिर विंध्य ,अरावली ,सतपुड़ा , तथा नीलगिरी पर्वतश्रेणयों , तथा का पठार। इस प्रकार अगर वह पश्चिम से पूर्व की ओर जायेगा तो उसे वैसी ही विविधता और विभिन्नता मिलेगी। उसे विभिन्न प्रकार की जलवायु मिलेगी। हिमालय की अत्यधिक ठण्ड, मैदानों की ग्रीष्मकाल की अत्यधिक गर्मी मिलेगी। एक तरफ़ का समवर्षा वाला प्रदेश है, तो दूसरी ओर का सूखा क्षेत्र, जहाँ बहुत कम वर्षा होती है। इस प्रकार भौगोलिक दृष्टि से भारत में सर्वत्र विविधता दिखाई पड़ती है।’
सांस्कृतिक विविधता
भारत के अनेक क्षेत्रों में सांस्कृतिक विविधता दिखाई पड़ती है | यहां विभिन्न क्षेत्रों के व्यक्तियों में भिन्नता मिलती है | लोगो का शारीरिक गठन ,खान -पान ,रहन -सहन ,वेश -भूषा ,यहाँ तक की मानसिकता भी अलग अलग प्रकार की है उदहारण -उतर भारत में अनेक जगह यथा -दिल्ली ,मुंबई ,कोलकाता अदि में सभ्य,शिक्षत एवं शिष्ट लोग मिठे है तो असम तथा नागालैंड में अपेक्षाकृत कुछ कम सुसंस्कृत एवं शिष्ट लोग मिलते है |
धार्मिक विविधता
भारत के विभिन्न भागों में अलग-अलग धर्म यथा - हिंदी ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई ,बौद्ध ,पारसी जैन धर्म के अनुयायी रहते हैं। प्रत्येक धर्म भी कई मतों में बंटा हुआ है, उदाहरणार्थ - हिन्दू धर्म जिसे भारत का सर्वाधिक प्राचीन धर्म माना जाता है, वैष्णव,शैव ,सनातन ,आर्य समाज ,राम भक्त, कृष्ण भक्त कबीर पंथी नाथ पंथी आदि मतों में विभाजित है। अत: विभिन्न धर्म तथा मतों के अनुयायियों में धार्मिक विविधता दिखाई देती है।
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