भारत में नदियों का महत्व

भारतीय नदिया का सामजिक,सांस्कृतिक ,आर्थिक महत्वा है सिन्धु तथा गंगा नदियों की घाटियों में ही विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं - सिन्धु घाटी तथा आर्य सभ्यता का आर्विभाव हुआ।  इसलिए भारत में ये पूजनीया मानी जाती है इसी कड़ी में ये भारत में विवधिताओ एक महत्वपूर्ण भूमिका इन  नदियो की भी है जो हर क्षेत्र में अपना एक अलग रूप ,परंपरा ,सभ्यता , पर आधारित होती है भारत में वर्तमान में भी अधिकतर कृषि प्रधान जनसँख्या नदी तटों के किनारे निवास करती है  प्राचीन काल में व्यापारिक एवं यातायात की सुविधा के कारण देश के अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही विकसित हुए थे तथा आज भी देश के लगभग सभी धार्मिक स्थल किसी न किसी नदी से सम्बद्ध है।भारत की नदियों को अलग अलग तंत्रो के रूप में पहचाना जा सकता है     

river photo के लिए इमेज परिणाम

 भारत में  नदी तंत्र काफी बड़ा है परन्तु इसमें 4 तंत्रो को मुखिया रूप में बनता जाता है  
  1. सिंधु नदी तंत्र 
  2. हिमालय नदी तंत्र 
  3. ब्रम्पुत्र नदी तंत्र 
  4. प्रयद्वीपय नदी तंत्र  


भारत में होने वाले कई पर्व  और पूजा नदियों के घाटों के  पुरे नहीं होते इसमें छठ पूजा ,गंगा दशहरा ,कुम्भ मेला , अदि अन्य है नदियों का भारत में महत्व व्यक्ति की मृत्यु तक रहता है व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी अस्तियो को नदियों में बहाना शुभ माना जाता है

नदियां मानसूनी और बारामासी होती है जो सम्पूर्ण देश की पियास बुझती है  सिचाई ,विद्युत उत्पादन ,कर भारत की आर्थिकी को मजबूत करती है 

नदियों के बिना जीवन असम्भव है इसलिए हमें इन्हे बचना चाहिए भारत सर्कार इसके लिए कई उपाय कर रही है 
नमामि गंगे योजना,  गंगा स्वच्छ अभियान ,अदि नाम से प्रचलित है 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कल्चरल सोशियोलॉजी पुस्तक के लेखक कौन है | Cultural Sociology Pustak Ke Lekhak

वैज्ञानिक हंस क्रिश्चियन ग्राम की जीवनी Biography of scientist Hans Christian gram in hindi

कठिन परिश्रम