असफल लोगो की सफल कहानी
सफलता एक शब्द नहीं है | ये किसी भी व्यक्ति के वयक्तित्व को प्रदर्शित करते है अगर व्यक्ति जिंदगी में
सफल है तो दुनिया उसके पीछे है उसको शाबशी देती है अगर नहीं है तो दुनिया उनका मजाक बनाती है कुछ जिंन्दगी के शुरुआती में असफल होने के बाद भी कुछ अलग करने की चाह रखते है यही चाहत उन्हे दुनिया की भीड़ से अलग करती है | और उन्हें अलग इंसान बना देती है और उनका नाम इतिहास के सुनहरे पन्नो में लिख दिया जाता है और सफल होने के लये मात्र पढाई लिखाई काफी नहीं है उसके सात किसी गोले को पाने की चाहत ,जूनून भी होना किये किताब सिर्फ बेसिक नॉलेज पूरा करती है बाकि आप दुनिया से सीखते है | ऐसे ही कुछ लोगो की कहानी नीचे दी गयी है |
दुनिया में जीनियस के तौर पर पहचाने जाने वाले वैज्ञानिक आइंस्टीन चार साल तक बोल और सात साल की उम्र तक पढ़ नहीं पाते थे. इस कारण उनके मां-बाप और शिक्षक उन्होंने एक सुस्त और गैर-सामाजिक छात्र के तौर पर देखते थे. इसके बाद उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया और ज़्यूरिच पॉलिटेक्निक में दाखिला देने से इंकार कर दिया गया. इन सब के बावजूद वे भौतिक विज्ञान की दुनिया में सबसे बड़ा नाम साबित हुए.
थॉमस एडीसन
एडीसन ने एक बार बताया था कि वह स्कूल में जो भी सीखने, उसमें नाकाम साबित होते. उन्हें पहली दो नौकरियों से निकाल दिया गया था. ऐसे ही हज़ार नाकामियों के बाद उन्होंने वो कर दिखाया जिसके बाद पूरी दुनिया ने उनका लोहा माना. इस सफलता के बाद उन्होंने कहा, 'मैं हारा नहीं बल्कि मैंने ऐसे हज़ार रास्ते खोजे जिनसे सफलता नहीं मिल सकती'.
बिल गेट्स
दुनिया के सबसे अमीर इंसान बनने से पहले बिल गेट्स ने हावर्ड कॉलेज में बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी थी. इसके बाद उन्होंने अपना पहला बिज़नेस शुरू किया जो बुरी तरह असफल साबित हुआ. फिर भी हार नहीं मानी और 1971 माक्रोसॉफ़्ट कम्पनी की नीव राखी |
विंस्टन चर्चिल
नोबल पुरस्कार जीतने वाले और दो बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चुने गए विंस्टन चर्चिल की भी कहानी संघर्ष से भरी है. स्कूली शिक्षा के दौरान चर्चिल 6वीं क्लास में फेल हुए. इसके बाद प्रधानमंत्री बनने से पहले अपने हर चुनाव में वो फेल हुए लेकिन उन्होंने मेहनत करना नहीं छोड़ा.
चार्ल्स डार्विन
इंसानी विकास सिद्धांत के जनक के तौर पर पहचाने जाने वाले चार्ल्स डार्विन को अक्सर सपने में खोए रहने वाला आलसी जैसे शब्दों को सुनना पड़ता था. उन्होंने लिखा कि मेरे पिता और मुझे सिखाने वाले मुझे बेहद साधारण और औसत बुद्धिमता का मानते थे.
रबिंद्रनाथ टैगोर
भारत की ओर से इकलौते नोबल पुरस्कार जीतने वाले महान क़वि और साहित्यकार रबिंद्रनाथ टैगोर स्कूल में फेल हो गए थे. उनके शिक्षक उन्हें पढ़ाई में ध्यान न देने वाले छात्र के तौर पर पहचानते थे. बाद में वही टैगोर देश का गर्व साबित हुए.रबिंद्रनाथ टैगोर ने ही लिखा था कि "हर ओक का पेड़, पहले ज़मीन पर गिरा एक छोटा सा बीज होता है."
वॉल्ट डिज़्नी
नौकरी के दौरान वॉल्ट डिज़्नी को अख़बार के संपादक ने ये कहकर निकाल दिया कि उनके पास कल्पनाशीलता और नए विचार नहीं है. इसके बाद उन्होंने अपने व्यवसाय शुरु किए लेकिन दिवालिए हो गए. इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उनके नाम से एक पूरा साम्राज्य चलता है जिसके हम सब गवाह हैं.
लेहरो से डर कर नौका पार नहीं होती ,कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती
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