मन के हारे हार मन के जीते जीत
मन बहुत बलवान है। शरीर की सब क्रियाएं मन पर निर्भर करती है । यदि मन में शक्ति, उत्साह और उमंग है तो शरीर भी तेजी से कार्य करता है। अतः व्यक्ति की हार जीत उसके मन की दुर्बलता सबलता पर निर्भर है।
इंसान के जीवन में कई प्रकार के सुख दुःख आते जाए रहते है जो बिल्कुल हमारे मौसम के तरह बदलते रहते है लेकिन कुछ इंसान ऐसे भी होते जो सुख को तो जीते है परन्तु दुःख के पलो को भी मुस्कराकर जीते है क्योकि उन्हे पता होता है की हर रात के बाद सवेरा होता है यानि दुख के बाद भी उन्हें सुख मिलेगा जिंदगी का यही नियम है सफलता भी इसी की एक कड़ी है अगर मन में सोच लिया है सफल होना है तो एक दिन होकर रहेंगे इसका एक उदहारण
जिंदगी हार जीत के अनुभव काफी काम आते है जीत पाने के लिए भी हार से कुछ सीखना पड़ता है बस मन में विश्वाश होना चाहिए की हम एक दिन सफल जरूर होंगे ऐसे व्यक्ति जो कोशिश पहले ही हार स्वीकार कर लेते हैं । धीरे-धीरे उनमें यह भावना बैठ जाती है कि वे कभी भी जीत नहीं सकते हैं । वहीं दूसरी ओर सफल व्यक्ति हमेशा आशावादी व कर्मवीर होते हैं । वे जीत के लिए हमेशा प्रयास करते हैं ।जब तक हमारा मन शिथिल है तब तक हम कुछ भी नहीं कर सकते।
अतः ठीक ही कहा गया है मन के हारे हार है मन के जीते जीत।
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