स्वामी विवेकानंद

 स्वामी विवेकानद का जन्म 12 जनवरी 1863 और मृत्यु 4 जुलाई 1902 को हुआ था वे वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यत्मिक गुरु थे।  उनका वास्तविक नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। उन्होने अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1813 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की और से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदांत दर्शन अमेरिका  यूरोप  के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्दकी वक्तृता के कारण ही पहुंचा। उन्होने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी काम कर रहा है वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत "मेरे अमेरिकी भाइयो और बहनो " के साथ करने के लिए जाना जाता है।  उनके सम्बोधन के इस प्रथम वाक्या ने सबका दिल जित लिया था। 
                                     उनको आज के युवा उनके विचारो से जानते है उनके motivational विचार इस प्रकार है की हर कोई उससे motivated हो सकता है आप भी उनके विचारो से सीख ले जो इस प्रकार नीचे दिए गए है।  


  • "तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना हैं। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही हैं। "  
                                                                                  स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda)     





  • "सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।"
          स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda)



  • " ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं।"
                                                                   स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda )



  • "दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।"           
                                                                           स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda )





  • "शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु हैं। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु हैं। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु हैं।" 
                                                                            स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda )



स्वामी विवेकानंद की के उपरोक्त 5 विचारो के अलावा आगे भी बताये जाएंगे 

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