नेल्सल मंडेला की जीवनी

Related imageनेल्सन मंडेला  को दक्षिण अफ्रीका के भूतपूर्व  प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति थे उन्हें  दक्षिण अफ्रीका का महात्मा गाँधी के रूप में जाना जाता और वे भारत रत्न पाने वाले दूसरे गैर भारतीय थे उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के रंगभेदी कानून के विरोध में अपनी आवाज उठयी और उन्हें इसके लिए जेल में डाला गया लेकिन उन्होंने जेल से अपने आंदोलन शुरू किया और अंत में उन्होने अपने आंदोलन सफलता पायी और दक्षिण अफ्रीका के प्रथम राष्ट्रपति बने। 

प्रारम्भिक जीवन :
 मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को मवेजो ,ईस्टर्न केप ,दक्षिण अफ्रीका में गेडला हेनरी म्पकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के यहाँ हुआ था उनका पूरा नाम नेल्सन रोलीह्लला मंडेला है  वे अपनी माँ नोसकेनी की प्रथम और पिता की सभी संतानो में 13 भईओ में तीसरे थे।  मंडेला  के पिता गेडला हेनरी म्पकेनिस्वा (1880 -1928)सम्राट के एक स्थानीय प्रमुख और पार्षद थे  । उनके दादा नागबेगुका दक्षिण अफ्रीका के आदुनिक पूर्वी कि प्रान्त के ट्रांसकेनियाँ क्षेत्रों में तम्बू लोगो के राजा थे।  Ngubengcuka  की एक पत्नी इक्षिबा कबीले से थी जिनकी संतान  नाम मंडेला है, जिससे उन्होंने अपना उपनाम मिला  क्योंकि मंडेला  इक्षिबा कबीले की पत्नी द्वारा राजा की संतान थे, जो कि तथाकथित "वामपन्थी सदन" था, राजपरिवार की उनकी  शाखा के वंशज नैतिक, राजगद्दी पाने में अयोग्य थे, लेकिन वंशानुगत शाही पार्षदों के रूप में मान्यता प्राप्त थे.इसलिए उनके पिता पर्षद थे। उनके पिता से उन्हें अपना उपनाम मिला था। 

उनके पिता ने इन्हे 'रोलीह्लला ' प्रथम नाम दिया था जिसका अर्थ "उपद्रवी "होता है। उनकी माता मेथोडिस्ट थी मंडेला ने अपनी परम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की उसके बाद की स्कूली शिक्षा मेथोडिस्ट मिसनरी स्कूल से ली। मंडेला जान १२ वर्ष के थे उनके पिता की मृत्यु हो गयी।  



राजनैतिक जीवन :

अपने जीवनयापन के लिए वो एक क़ानूनी फर्म में क्लर्क बन गए लेकिन उनका रूचि राजनीती में थी इसलिए वो 1941 मंडेला जनसबर्ग काले गए जहा उनकी मुलाकात वाल्टेर सिसुलू  वाल्टेर एलबर्टाइन से होइ।  उन दुनो से वो राजनिक रूप में प्रभवित होये और उन्होंने रंगभेद को दूर करने के लिए राजनीती में कदम रखा 1944 में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने रगभेद के विरुद्ध आंदोलन चला रखा था और इससे वो जुड़ गए।  1961 में उनके ऊपर देशद्रोह का मकदमा चला लेकिन वह निर्दोष साबित होए। अगले वर्ष 1962 में उनकी एक बार फिर गिरफ्तारी हुई आरोप था की उन्होने मजदूरों को हड़ताल के लिए उकसाया और बिना अनुमति के देश छोड़ने के लिए कहा उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उन्हे उम्रकैद की सजा सुनाई गई।  उन्हें रॉबेन दूवीप की जेल मे भेजा लेकिन सजा से उनका उत्साह काम नहीं हुआ उन्हने जेल के सभी अश्वेत कैदियों को अपने आंदोलन में शामिल किया और रंगभेदी कानून के विरोध करने को समझया। और 27 वर्ष जेल में बिताने के बाद उन्हें 1990 में रिहा किया गया उन्होंने महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर शांति अहिंसा के मार्ग में चलकर समझौते की निति द्वारा एक लोकतान्त्रिक एवम बहुजातीय अफ्रीका की नीव राखी। 
1994 में दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदी रहित चुनाव हुए। अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 % मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उनकी सरकार बानी और 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वपथम अश्वेत राष्ट्रपति बने।

              दिसम्बर 2013 को फेफड़ों में संक्रमण हो जाने के कारण मंडेला की हॉटन, जोहान्सबर्ग स्थित अपने घर में मृत्यु हो गयी। मृत्यु के समय ये 95 वर्ष के थे और उनका पूरा परिवार उनके साथ था। उनकी मृत्यु की घोषणा राष्ट्रपति जेकब ज़ूमा ने की।

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