महत्मा गाँधी की जीवनी Mahatma Gandhi Biography in Hindi

महत्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था उनका जन्म  २ अक्टूबर 1861 और मृत्यु 30 जनवरी 1984 को होआ था वो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन  प्रमुख नेता थे उन्होंने अपने सत्यग्रह और अहिंसा के माध्यम से  भारत में होने वाे अत्याचारों के खिलाफ आवाज  उठाई थी। गांधी को महात्मा के नाम से सबसे  पहले गांधी को महात्मा के नाम से सबसे पहले  1914 में राजवैद्य जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था। उन्हें बापू (गुजराती भाषा में  बापू यानी पिता) के नाम से भी याद किया जाता है। सुभाष चन्द्र बोस ने ६ जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष 2 अक्टूबर  को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है।

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प्राम्भिक जीवन :

उनका जन्म गुजरात के पोरबंदर में 1861 करमचंद गाँधी के घर में हुआ था। इनके पिता   ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत (पोरबंदर) के दीवान अर्थात् प्रधान मन्त्री थे। गुजराती भाषा में गान्धी का अर्थ है पंसारी जबकि हिन्दी भाषा में गन्धी का अर्थ है इत्र फुले बेचने वाला  जिसे अंग्रेजी में परफ्यूमर कहा जाता है।

            उनका विवाह  13 वर्ष की उम्र में  14 वर्ष की कस्तूरबा  से हुआ जो बाल विवाह  था उन्होने अपनी कानून की  शिक्षा 1888  में इंग्लैंड में यूनिवेर्सिटी कालेज ऑफ़ लन्दन में  पूरी की और बैरिस्टर  बने।  उन्हें वक़लत के सिलसिले से दक्षिण अफ्रीका गए जो उस वक्त ब्रिटिश साम्राज्य का भाग था । उनके कार्यो की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका से हुई जहाँ भारतीयों से भेदभाव जैसी समस्याओ का सामना करना पढ़ा। उनके  जीवन  40 वर्ष दक्षिण अफ्रीका में बीते जिसके बाद वह  1914 भारत में आए। 

दक्षिण अफ्रीका 1813 से 1914 में नागरिक अधिकारों के आंदोलन :


उन्हें नटल रेलवे स्टेशन से ट्रेन  की प्रथम श्रेणी की वैध टिकट होने के बाद भी उन्हें तीसरी श्रेणी से भी उन्हें ट्रेन बहार निकल दिया उनके साथ नस्लभेदी व्यव्हार किया गया।  उनके भारतीय होने की वजह से उन्हें  आस  पास के होटलो में भी रहने  की कमरा तक  नहीं  दिया जिसके कारण उन्हें सर्दी की रात में उन्हे  नेटल रेलवे स्टेशन में रहना पढ़ा।

            इसी तरह ही बहुत सी घटनाओं में से एक यह भी थी जिसमें अदालत के न्यायाधीश ने उन्हें अपनी पगड़ी उतारने का आदेश दिया था जिसे उन्होंने नहीं माना। ये सारी घटनाएँ गान्धी के जीवन में एक मोड़ बन गईं और विद्यमान सामाजिक अन्याय के प्रति जागरुकता का कारण बनीं तथा सामाजिक सक्रियता की व्याख्या करने में मददगार सिद्ध हुईं। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अन्याय को देखते हुए गान्धी ने अंग्रेजी साम्राज्य के अन्तर्गत अपने देशवासियों के सम्मान तथा देश में स्वयं अपनी स्थिति के लिए प्रश्न उठाये।
 महात्मा गाँधी के भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण योगदान है  uske bare me आगे की post me hoga 

 



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