अखिल भारतीय सेवाएं अनुछेद 312( article 312 of indian constitution in hindi)
भारतीय सविधान के भाग xiv में अनुछेद 308 से 314 तक अखिल भारतीय सेवाओं ,राज्य सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं से संबधित उपबंद किये गए है आपको इतना पता होगा इसलिए में सीधे अनुछेद 312 मेंआती हूँ और उसके बारे में ही बताउंगी।
अखिल भारतीय सेवा : ये वो होती है जो राज्य और center (केंद्र )में समान दर्जा प्राप्त होती है भारत में अभी तीन अखिल भारतीय सेवाएं है 1 आईएएस
2 आईपीएस
3 आईएफएस (भारतीय वन सेवा )
अनुछेद 312 : ये सिर्फ अखिल भारतीय सेवा से सभंधित है इसमें तीन उपबंद या पार्ट है जो बी आप समझे ठीक है
अनुछेद 312 (A ) :यदि राजयसभा को लगता है की राष्ट्रहित में एक नई अखिल भारतीय सेवा का निर्माण होना चाहिए तो वो राजयसभा में उपस्थित और मतदान देने वाले सदस्यों का 2 तिहाई के बहुमत के आधार पर एक प्रस्ताव पारित करेगी और भारतीय संसद को भेज देगी और संसद नई अखिल भारतीय सेवा का निर्माण करेगी राजसभा को राज्यों के हितो की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी है
अनुछेद 312 (B ): संसद अखिल भारतीय सेवाओं की भर्ती और उनके सेवा से जुड़े नियम बना सकती है और इसलिए भारतीय सेवा अधिनियम 1951 पारित किया गया है
अनुछेद 312 (C ): ये सेवाएं सविधान की शुरवात के समय से (यानि की 26 जनवरी 1950) संसद द्वारा स्थापित मानी जयेगी उदहारण के तोर जैसे आईएएस ,आईपीएस या इस उपबंद के अंदर आने वाली जो भी सेवाएं है
अनुछेद 312( D ): अगर संसद अखिल भरतिया न्यायक सेवा का निर्माण करती है तो जो पद बनेगा वो जिला नयाधिश से कम का नहीं होना चाहिए और अगर इस सेवा का निर्माण होता है तो वह सविधान संसोधन( अनुछेद 368 ) नहीं माना जयेगा
42 वे सविधान संसोधन अधिनियम 1976 में अखिल भारतीय न्यायक सेवा के लिए उपबंद किया गया है लेकिन अभी तक ऐसा कुछ हुआ नहीं है
अनुछेद 312( क ):संसद को यह अधिकार है की 1950 से पहले जो व्यक्ति सेवा में नियुक्त हुआ है उसके सेवा शर्तो को बदलना या हटा देने का अधिकार संसद को होगा
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